Wednesday 8 November 2017

विरह का अमृत

विरह का अमृत फिर पीने दो

चंद पलों के लिए मिलो और 

बीती बातें याद आने दो 

फिर बिछड़ो-भूलो-प्यार-वफ़ा और 
विरह का अमृत फिर पीने दो 
सुख में भी हो दुःख में भी हो 
ऐसा अपना साथ चलो !
चंद पलों के लिए मिलो और
बीती बातें याद आने दो

प्रीत पुरानी पुनः नयी हो 

प्रेम प्रसून पुनः पुष्पित हो 

दुःख की बदली छंट जाने दो 
सुख की वर्षा हो जाने दो
चंद पलों के लिए मिलो और 
बीती बातें याद आने दो

नहीं - नहीं को हाँ होने दो 

दिल की धड़कन बढ़ जाने दो 

अधरों से अधरों का आलिंगन 
जो होता हो हो जाने दो 
स्वाति बूँद पपीहे को दो 
चाँद चकोर को मिल जाने दो 
चंद पलों के लिए मिलो और
बीती बातें याद आने दो

रोम- रोम पुलकित हो जाए 

मन की बातें मुखरित हो जाएँ 

प्रणय-पाश में बंधे दो ह्रदय 
अमावस पूनम हो जाने दो 
ध्येय नहीं तुमको पाना अब 
पर थोडा अभिमान तो हो 
चंद पलों के लिए मिलो और 
बीती बातें याद आने दो

बिछड़ो-भूलो-प्यार-वफ़ा और 

विरह का अमृत फिर पीने दो 

विरह का अमृत फिर पीने दो 
विरह का अमृत फिर पीने दो


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