तू कहता है पत्थर का हूँ
आज़मा कर तो देख,
मार मुझको;
फिर पानी में बहा कर तो देख,
तेरा हिज़्र मुझको
तार तार कर गया है,
मिल मुझे;
फिर मुझको बेक़रार कर के तो देख,
तुझको यक़ीन हो जायेगा
मोम है मेरी मिट्टी,
तू अपने प्यार की आँच में
जला कर तो देख ।
©नितिन चौरसिया
(प्रयुक्त छायाचित्र अमृतसर यात्रा के दौरान मित्रवर विनय के सौजन्य से ।)