Friday 12 January 2018

मोहब्बत हो जाती है



मोहब्बत
हो जाती है
कभी-कभी उन लम्हों से
जो अनजाने ही
एकांत में अपनी
गुस्ताखियों का सबब बने जाते हैं !

मोहब्बत 
हो जाती है 
अक्सर ही उन रास्तों से
जो कभी ले जाते थे
माशूका के दर तक लेकिन 
आज वीरान हुए जाते हैं !

मोहब्बत 
हो जाती है
अक्सर ही उन अल्फ़ाज़ों से
जो बड़ी बेबाकी के साथ 
कहे जाते थे उन दिनों
आज खामोश हुए जाते हैं !

मोहब्बत 
हो जाती है
कभी- कभी उन दोराहों-चौराहों से
जो बेसुध थे भविष्य से
जहाँ रोज जुदा होने से पहले
'सी यू' कहे जाते हैं !

मोहब्बत
हो जाती है
अक्सर ही उस शख्शियत से
जो जाने -अनजाने ही
किसी भीड़ भरी महफ़िल में
गुस्ताख़ हुए जाते हैं !

(कलमकृति में प्रकाशित रचना )

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